Ek HARI

 Ek HARI


दूर एक बड़े से खेत के बीच एक आदमी दिखाई दे रहा था। सुबह के 6:00 रहे थे। चारों तरफ दूर-दूर तक केवल मैदान ही था। कानों में पानी की मीठी सी सरसराती हुई आवाज कानों में पढ़ रही थी। जब मैंने उस ओर देखा दूर एक खेतों के बीच कोई था। कान पट्टी, बड़े जूते, जिन्हें अंग्रेजी में clogs भी कहते हैं, जो कि आधे मिट्टी में धसे हुए थे। सुहानी हवा चारों ओर, सुनसान, सुकून सा माहौल था। जमीन को गीली करने के लिए वह लगातार नहर बनाए जा रहा था। नवंबर का महीना था चारों तरफ से ठंड आ रही थी।

 आजकल बिजली का समय बदल चुका था। रात 11:00 बजे से 2:00 बजे तक और सुबह 6:00 बजे से 12:00 तक का हो चुका था। जब वह हरि मेरे पास आया। मैंने अपना परिचय उसे दिया। वह अपना परिचय मुझे देने लगा।

"हरि" एक ऐसा शब्द मुझे लगता है जिसका मतलब कृष्ण भगवान से क्योंकि उन्हें भी हरी कहा जाता था। वह भी अर्जुन के सारथी थे और यह भी पटेल बा का सारथी है। वह भी अर्जुन की पूरी तरह मदद करते थे यह भी पटेल बा की पूरी तरह मदद करता है। मुझे लगता है यह शब्द वहीं से आया है हरि।

 उसने अपना नाम कैलाश बताया और कहने लगा। 

"दादा भाई," राजस्थानी शब्दावली यह शब्द प्रयोग में लिया जाता है इसका मतलब होता है बड़ा भाई, "दादाभाई इस बार फसल काफी जल्दी करने की कोशिश हो रही है। बस एक बार इस खेत को पूरा गीला कर दे उसके बाद बोनी शुरू हो जाएगी।"

 वह अपना परिचय और बताने लगा।

 वह यही पास छोटे से गांव बखतगढ़ से था। जहां पर वह उसकी पत्नी और एक बेटा पांच बीघा जमीन के साथ रहता था।

मैंने पूछा और कौन-कौन है परिवार में। कहने लगा "बस एक बेटा है और एक बेटी भी थी लेकिन उसने अपनी मनपसंद शादी कर कर चली गई।" वह 30 नंबर बीड़ी सुगलाते हुए कहने लगा।  

मेरी नजर उसकी बीड़ी पर थी वह एकदम काफी परेशान और तनाव में महसूस हो रहा था। "दादाभाई में बीड़ी नहीं पीता था पहले लेकिन पटेल बा ने मेरी आदत लगा दी और इस खूंखार ठंड में मुझे इसकी सुनसान रात में काफी आवश्यकता पड़ती है," 

वह मुस्कुराते हुए कहने लगा। उसकी मुस्कान भी काफी थकी हुई थी। कुछ समय चुप होने के बाद वह फिर अपना परिचय देने लगा।

"मैंने अपनी बेटी को 15 कक्षा तक पढ़ाया था।" 15 कक्षा मतलब 12 साल उच्च शिक्षा तक और फिर 3 साल कॉलेज।

"इतना पढ़ाने के लिए मैंने दिन-रात दूसरों के खेतों में पानी पिलाया, दिनों में बकरी चराता था और भी अजीबो गरीब काम किए लेकिन वह भाग गई!" वह मुझसे नज़रे छुपा कर सामने खेतों की ओर देखता रहा।

मेरे मुंह से एकदम आवाज निकली "क्या!"


 "हां उसे कोई लड़का पसंद आ गया तो फिर उसने हमें छोड़ दिया। काफी कोशिश करने के बाद भी वह नहीं आई और फिर हमने भी छोड़ दिया। उसके बाद हमने उससे बात नहीं की।"

कुछ देर वहां पर सन्नाटा छा गया। हल्की-हल्की मधुर कोयल की आवाज कानों में पड़ रही थी। हम दोनों कुछ देर के लिए खेतों को देखने लगे थे। कुछ देर बाद वह फिर बोलने लगा। " बेटा हमारा मजदूरी करता है और मैं यहां पर 6 महीना के लिए खेतों में पानी पिलाता हूं। "

इतना कह कर वह वापस जाने के लिए बोलने लगा और कहने लगा "भेड़-बकरियों को लाना है चलते हैं।" धीरे-धीरे वह दूर जाने लगा।

मैंने उन्हें पीछे से आवाज देते हुए कहा " रुको!" मैं दौड़ कर उसके पास गया। वह मुस्कुराते हुए मेरी और देखने लगा, " उसका पति अब क्या करता है?"

  "वह तो अब ज्यादा कुछ नहीं महुआ पेड़ होता है वहां से वह दारू निकलता था और अब जेल में है वहां हरि का काम करता है" बिना हिचकिचाहट के इतना कह कर वह मुझसे दूर चला गया।"

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